Alopi Devi अलोपी देवी का मन्दिर इलाहाबाद जिले में प्रसिध्द है

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GK in Hindi on Alopi Devi Study Notes on Alopi Devi अलोपी देवी मन्दिर इलाहाबाद जिले में प्रसिध्द है सामान्य ज्ञान अलोपी देवी

अलोपी देवी का मन्दिर:

यह एक ऐसा खास मंदिर है, जहां कोई मूर्ति नहीं रखी गई है। इसका नाम देवी अलोपशंकरी के नाम पर रखा गया है। मंदिर प्रांगण के बीच के स्थान में एक चबूतरा है जहां एक कुंड बना हुआ है। इसके ऊपर एक खास झूला या पालना है, जिसे लाल कपड़े से ढंक कर रखा जाता है। ​किंवदन्ती के अनुसार मां सती की कलाई इसी स्थान पर गिरी थी। यह प्रसिद्ध शक्ति पीठ है और इस कुंड के जल को चमत्कारिक शक्तियों वाला माना जाता है।

आस्था के इस अनूठे मन्दिर में भक्त प्रतिमा की नहीं, बल्कि झूले या पालने की ही पूजा करते हैं। अलोपी नामकरण के पीछे भी एक मान्यता है। माना जाता है​ कि यहां शिवप्रिया सती के दाहिने हाथ का पंजा गिरकर अदृश्य या अलोप हो गया था, इसी वजह से इस शक्ति पीठ को अलोप शंकरी नाम दिया गया।

मान्यता है की यहां कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर मन्नत मांगने वाले भक्तों की हर कामना पूरी होती है और हाथ मे धागा बंधे रहने तक अलोपी देवी उनकी रक्षा करती हैं। प्रयाग इलाहाबाद में तीन मंदिरों को मतांतर से शाक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति ‘ललिता’ के हैं। पहला मंदिर अक्षयवट है, जो किले के अन्दर स्थित है। दूसरा मंदिर ललिता देवी का मीरापुर के निकट स्थित है और तीसरा मंदिर अलोपी माता का है

इलाहाबाद दक्षिणी उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। यह गंगा और यमुना नदी पर बसा हुआ है। यह प्राचीन नगर गंगा और यमुना के संगम के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि इस संगम पर भूमिगत रूप से सरस्वती नदी भी आकर मिलती है। गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बसा इलाहाबाद वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) व हरिद्वार के समकक्ष पवित्र प्राचीन प्रयाग की भूमि पर स्थित है


धार्मिक ऐतिहासिकता
इलाहाबाद की अपनी एक धार्मिक ऐतिहासिकता भी रही है। छठवें जैन तीर्थंकर भगवान पद्मप्रभ की जन्मस्थली कौशाम्बी रही है तो भक्ति आंदोलन के प्रमुख स्तम्भ रामानन्द का जन्म भी यहीं हुआ। रामायण काल का चर्चित श्रृंगवेरपुर, जहाँ पर केवट ने राम के चरण धोये थे, यहीं पर है। यहाँ गंगातट पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम व समाधि है। भारद्वाज मुनि का प्रसिद्ध आश्रम भी यहीं आनन्द भवन के पास है, जहाँ भगवान राम श्रृंगवेरपुर से चित्रकूट जाते समय मुनि से आशीर्वाद लेने आए थे। अलोपी देवी के मंदिर के रूप में प्रसिद्ध सिद्धिपीठ यहीं पर है तो सीता-समाहित स्थल के रूप में प्रसिद्ध सीतामढ़ी भी यहीं पर है। गंगा तट पर अवस्थित दशाश्वमेध मंदिर जहाँ ब्रह्मा ने सृष्टि का प्रथम अश्वमेध यज्ञ किया था, भी इलाहाबाद में ही अवस्थित है। धौम्य ऋषि ने अपने तीर्थयात्रा प्रसंग में वर्णन किया है कि प्रयाग में सभी तीर्थों, देवों और ऋषि-मुनियों का सदैव से निवास रहा है तथा सोम, वरुण व प्रजापति का जन्मस्थान भी प्रयाग ही है।

कुम्भ मेला
Main.jpg मुख्य लेख : कुम्भ मेला
संगम तट पर लगने वाले कुम्भ मेले के बिना इलाहाबाद का इतिहास अधूरा है। प्रत्येक बारह वर्ष में यहाँ पर महाकुम्भ मेले का आयोजन होता है, जो कि अपने में एक लघु भारत का दर्शन करने के समान है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष लगने वाले माघ स्नान और कल्पवास का भी आध्यात्मिक महत्व है। महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार माघ मास में तीन करोड़ दस हज़ार तीर्थयात्री इलाहाबाद में एकत्र होते हैं। विधि-विधान से यहाँ ध्यान और कल्पवास करने से मनुष्य स्वर्गलोक का अधिकारी बनता है। ‘पद्मपुराण’ के अनुसार इलाहाबाद में माघ मास के समय तीन दिन पर्यन्त संगम स्नान करने से प्राप्त फल पृथ्वी पर एक हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने से भी नहीं प्राप्त होता-
प्रयागे माघमासे तु त्र्यहं स्नानस्य यत्फलम्। 

अलोपी देवी(Alopi Devi GK in Hindi Study Notes) सामान्य ज्ञान पर आधारित परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न :

प्रसिध्द अलोपी देवी का मन्दिर किस जिले में स्थित है ?

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